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Saakhi - भगवान से सीधे संवाद। Radha Soami Babaji Ki Saakhi Dera Beas Hindi

 Radha Soami Babaji Ki Saakhi Dera Beas Hindi 2021

Saakhi - भगवान से सीधे संवाद

एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वे उस के घर आकर उस के बीमार पिता से मिलें ओर उनके लिये प्रार्थना करें। बेटी ने उन्हे ये भी बताया कि, उस के बुज़ुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते है। जब संत घर आए तो उस बेटी के पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रख कर लेटे हुए थे, वहां एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी। संत जी ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहाँ पहले से ही रख दी गई है। संत जी बोले मुझे लगता है, कि आप मेरी ही राह देख रहे थे। 

उस बेटी के पिता बोले, नहीं! आप कौन हैं? मैने आप को पेहचाना नही। संत जी ने अपना परिचय दिया और फिर कहा, मुझे ये खाली कुर्सी देख कर ऐसा लगा कि आप को मेरे आने का आभास था। वे पिता बोले ओह ये बात है, खाली कुर्सी! आपको अगर बुरा न लगे तो आप कृप्या कमरे का दरवाज़ा बंद करेंगे। संत जी को ये सुन कर थोड़ी हैरत हुई, फिर भी उन्होने दरवाज़ा बंद कर दिया। 

उस बेटी के पिता बोले, दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ मैंने किसी को नहीं बताया है। यहां तक की मेनै अपनी बेटी को भी नहीं, पूरी ज़िंदगी मैं ये जान नहीं सका कि प्रार्थना कैसे की जाती है। मंदिर जाता था, तो पुजारी के श्लोक सुनता। वो सिर के ऊपर से गुज़र जाते, मेरे कुच्छ भी पल्ले नहीं पड़ता था। इस बात को लेकर मैंने फिर प्रार्थना की कोशिश करना ही छोड़ दिया। लेकिन चार साल पहले मेरा एक दोस्त मुझे मिला, उसने मुझे बताया कि प्रार्थना बगैरा कुछ नहीं, भगवान से सीधे संवाद का माध्यम अपनाओ। 

उसी ने मुझे सलाह दी कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो, फिर विश्वास करो कि वहाँ भगवान खुद ही विराजमान हैं। अब भगवान से ठीक वैसे ही बात करना शुरू करो, जैसे कि अभी तुम मुझ से कर रहे हो। मैंने ऐसा कर के देखा तो मुझे बहुत अच्छा लगा, फिर तो मैं रोज़ दो-दो घंटे ऐसा कर के देखने लगा। लेकिन मै ये ध्यान रखता कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते ना देख ले, अगर वो मुझे ऐसा करते देख लेती तो उसका नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता। वह घबरा जाती या वो फिर मुझे किसी साइकाइट्रिस्ट के पास ले जाती। ये सब सुन कर संत जी ने बुजुर्ग के लिए प्रार्थना की, उनके सिर पर हाथ रखा और उस से भगवान से बात करने के इस क्रम को जारी रखने के लिए कहा। 

संत को उसी दिन दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था, इस लिए वे वहां से विदा ले कर चले गये। दो दिन बाद बेटी का संत जी को संदेश आया कि, उस के पिता की उसी दिन कुछ घंटो के बाद मृत्यु हो गई थी। जिस दिन वो आप से मिले थे, संत जी ने पूछा कि उन्हें प्राण छोड़ते वक्त कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई। तो बेटी ने जवाब दिया नहीं, मैं जब घर से काम पर जा रही थी। तो उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया, फिर उन्होने प्यार से मेरा माथा चूमा। ओर तब उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। 

जब थोडी़ देर बाद मैं वापिस आई, तो वो हमेंशा के लिए आँखें मूंद चुके थे। लेकिन मैंने एक अजीब सी चीज़ भी देखी, कि वे ऐसी मुद्रा में थे। जैसे कि खाली कुर्सी पर बैठे किसी की गोद में उन्होंने अपना सिर झुकाया हो। संत जी वो क्या था, ये सुनकर संत जी की आँखों से आँसू बह निकले। बड़ी मुश्किल से वे बोल पाए, काश मैं भी जब दुनिया से जाऊँ तो ऐसे ही जाऊँ। हमें भी भगवान को रोज याद करना चाहिए, बिना नागा भजन सुमिरन करना चाहिए। 

जब हमारी अवस्ता ऐसी होगी, तो भगवान खुद अंत समय हमे लेने आएंगे। जब हम हर दिन भजन सिमरन करेंगे, मालिक को याद करेंगे तो हमारा अंत समय उस आदमी की तरह ही होगा। हमे किसी कि परख नही करनी है, जो जैसा दिखता है ज़रूरी नहीं उतना ही वो गलत हो। किसी को भी ना परखो, ना जाने उस जीव की कमाई कितनी बड़ी हो। एक दिन हम सब को जाना तो खाली हाथ ही है, पर उस समय हमारा सचा परम पिता हमे लेने आए। वह दिन हमारे लिये अहो-भाग्य वाला दिन होगा और हमारा मनुष्य देह मैं आने का मकसद पूरा हो जाएगा।


किन साँसों का मैं एतबार करूँ, जो अंत में मेरा साथ छोड़ जाऐंगी। किस धन का मैं अंहकार करूँ, जो अंत में मेरे प्राणों को बचा नहीं पाएगा। किस तन पे मैं अंहकार करूँ, जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा। भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती, और यदि सज़ा हो जाये तो ज़मानत नहीं होती।

Radha Soami ji sangat ji

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Radha Soami babaji ki sakhi dera beas 2021 in hindi
Radha soami sakhi


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