Radha soami dera beas saakhi
भगवान क्या है।
भगवान क्या है।
जानने के लिए जरूर पढ़े
महात्मा बुद्ध के अनुसार आत्म से जुड़ना ही उस परम शक्ति को अनुभव करने का साधन है।
ये कोई निरोल काल्पनिक या चमत्कारी मार्ग नही है।
ये तो पूर्ण रूप से वैज्ञानिक मार्ग है।
जब हमारा ब्रह्माण्ड नहीँ था तो एक बिंदु भर था। पूरी कायनात को खुद में समेटे हुए। जब वो बिंदु का विसखलन हुआ तो पैदा हुई अनंत रौशनी और अनंत धीमी आवर्ती वाली ध्वनि। वो ध्वनि जो मनुष्य की समझ और संयंत्रो से परे थी।
उसी ध्वनि और प्रकाश ने बनाई 5 मुख्य ताकते
1. गुरुत्वाकर्षण
2. चुम्बकीय बल
3. दुर्बल नाभकीय बल
4. प्रबल नाभकीय बल
5. प्रतिकण ऊर्जा
गुरुत्वाकर्षण से बने तारे ग्रह आकाशगंगा।
और वो ध्वनि आज भी निरंतर बह रही है, जैसे शरीर में प्राण।
आज भी वो बना रही है नये सौरमंडल, जीव जंतु कुदरत इत्यादि।
एक दिन वो वापस जाकर उसी केंद्र में समा जायेगी जहां से वो आयी थी।
हमारी आत्मा क्या है।
ये उसी ऊर्जा का एक अंश है, उसी का प्रतिरूप है, पर बहुत छोटे स्तर पर।
जैसे एक फ़ोन है। उसमें सिम न डालो तो वो आपतक सीमित है। आप दुनिया से नही जुड़ सकते।
लेकिन जब आप उसमे सिम डालकर उसे रिचार्ज करोगे तो आप जानोगे की ये कोई छोटा सा फ़ोन नही बल्कि कुल दुनिया समेटे हुए था। कमी कहाँ थी ? आपके पहचानने में।
उसी तरह मनुष्य को भी ये बल प्राप्त है कि वो उस सूक्ष्म ध्वनि को सुन सके। उसमें ससमा सके उसकी ऊर्जा का फायदा उठा सके।
ये कोई निरोल काल्पनिक या चमत्कारी मार्ग नही है।
ये तो पूर्ण रूप से वैज्ञानिक मार्ग है।
जब हमारा ब्रह्माण्ड नहीँ था तो एक बिंदु भर था। पूरी कायनात को खुद में समेटे हुए। जब वो बिंदु का विसखलन हुआ तो पैदा हुई अनंत रौशनी और अनंत धीमी आवर्ती वाली ध्वनि। वो ध्वनि जो मनुष्य की समझ और संयंत्रो से परे थी।
उसी ध्वनि और प्रकाश ने बनाई 5 मुख्य ताकते
1. गुरुत्वाकर्षण
2. चुम्बकीय बल
3. दुर्बल नाभकीय बल
4. प्रबल नाभकीय बल
5. प्रतिकण ऊर्जा
गुरुत्वाकर्षण से बने तारे ग्रह आकाशगंगा।
और वो ध्वनि आज भी निरंतर बह रही है, जैसे शरीर में प्राण।
आज भी वो बना रही है नये सौरमंडल, जीव जंतु कुदरत इत्यादि।
एक दिन वो वापस जाकर उसी केंद्र में समा जायेगी जहां से वो आयी थी।
हमारी आत्मा क्या है।
ये उसी ऊर्जा का एक अंश है, उसी का प्रतिरूप है, पर बहुत छोटे स्तर पर।
जैसे एक फ़ोन है। उसमें सिम न डालो तो वो आपतक सीमित है। आप दुनिया से नही जुड़ सकते।
लेकिन जब आप उसमे सिम डालकर उसे रिचार्ज करोगे तो आप जानोगे की ये कोई छोटा सा फ़ोन नही बल्कि कुल दुनिया समेटे हुए था। कमी कहाँ थी ? आपके पहचानने में।
उसी तरह मनुष्य को भी ये बल प्राप्त है कि वो उस सूक्ष्म ध्वनि को सुन सके। उसमें ससमा सके उसकी ऊर्जा का फायदा उठा सके।
रात को आप सोते हो तो क्या होता है।
अभी तक वैज्ञानिक भी नहीँ बता सके।
आपको स्वपन क्यों आते है।
असल में उस समय आपकी आत्मा उस ध्वनि से जुड़ चुकी होती है और उसी ऊर्जा का इस्तेमाल अपने सेल्स की मरम्मत में लगाते है।
सोते समय हम ऐसी अवस्था में होते है कि हमारी चेतना इस शरीर को छोड़ चुकी होती है।
हमारा शरीर एक नई अवस्था में प्रवेश करता है।
वो है हमारा अवचेतन मन।
लेकिन हम तो पीछे पीछे चलने वालों में है। वैज्ञानिको ने बोल दिया की dark energy है तो है।
नही है तो नही है।
अभी तक वैज्ञानिक भी नहीँ बता सके।
आपको स्वपन क्यों आते है।
असल में उस समय आपकी आत्मा उस ध्वनि से जुड़ चुकी होती है और उसी ऊर्जा का इस्तेमाल अपने सेल्स की मरम्मत में लगाते है।
सोते समय हम ऐसी अवस्था में होते है कि हमारी चेतना इस शरीर को छोड़ चुकी होती है।
हमारा शरीर एक नई अवस्था में प्रवेश करता है।
वो है हमारा अवचेतन मन।
लेकिन हम तो पीछे पीछे चलने वालों में है। वैज्ञानिको ने बोल दिया की dark energy है तो है।
नही है तो नही है।
अब हमें करना क्या है ?
हम निद्रा में जिस अवस्था में होते है उसी अवस्था में हमे जागते हुए जाना है पूरी समझ के साथ जाना है।
पर ये आसान नही है।
इसमें लगती है निष्ठा, प्रेम, सच्ची लगन जो हर किसी के बस की बात नहीँ।
हम निद्रा में जिस अवस्था में होते है उसी अवस्था में हमे जागते हुए जाना है पूरी समझ के साथ जाना है।
पर ये आसान नही है।
इसमें लगती है निष्ठा, प्रेम, सच्ची लगन जो हर किसी के बस की बात नहीँ।
गुरु की क्या आवश्यकता है ??
जब हम उस अवस्था में जा रहे होते है तो हमारी आत्मा तरह तरह के मंजर से गुजरती है।
उसको सँभालने के लिए ऐसी ऊर्जा की जरूरत होती है जिसने वो रास्ता खोज लिया हो।
जो अपने आप ही खोजना चाहते है वो या तो डर कर बन्द क्र देते है या पहले पड़ाव को ही मंजिल मान लेते है।
ये बिलकुल वैज्ञानिक रास्ता है, काल्पनिक नहीँ।
जिसको कोई शंका हो मुझे मैसेज करे।
Radha Soami Sakhi
www.RadhaSoamiSakhi.org
जब हम उस अवस्था में जा रहे होते है तो हमारी आत्मा तरह तरह के मंजर से गुजरती है।
उसको सँभालने के लिए ऐसी ऊर्जा की जरूरत होती है जिसने वो रास्ता खोज लिया हो।
जो अपने आप ही खोजना चाहते है वो या तो डर कर बन्द क्र देते है या पहले पड़ाव को ही मंजिल मान लेते है।
ये बिलकुल वैज्ञानिक रास्ता है, काल्पनिक नहीँ।
जिसको कोई शंका हो मुझे मैसेज करे।
Radha Soami Sakhi
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