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फल अनजाने कर्म का । Anjane Karm ka Fal

Radha soami dera beas sakhi in hindi

फल अनजाने कर्म का
एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ।
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था ।
उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ।
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला ।
तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई ।
किसी को कुछ पता नहीं चला ।
फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ ।
ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....
बहुत दिनों तक यह मामला यमराज के खाते में अटका रहा ....
फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।
उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"
बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।
यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??
जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।
बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं ।
अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??
ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं
radha swami ji to all

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2 Comments

  1. अगर वकील बुरे की बुराई न करे तो बुरा तो छूट जाएगा। अगर बुरे की संसार में बुराई ही न करे तो उसको कैसे एहसास होगा की वो बुरा है। अगर हर कोई यही सोचे की बस कोई कितना ही बुरा करले मैं तो बस चुप रहुगा क्योकि अगर मैं बोला तो पाप मुझे लगेगा फिर तो संसार में सरेआम बुरे लोग फैलते जाएंगे। इसलिए जो बुरा है उसकी बुराई करके उसको एहसास दिलाके उसको सजा दिलाना ही संसार के हित में है। जैसे अगर कोई व्यक्ति किसी गरीब की खेती की जमीन पर कब्जे करता रहे , ट्रस्ट के नामो पर अपनी अपने परिवार की प्रॉपर्टी बनाता रहे, काले धन को सफेद में बदले, इस व्यक्ति राजनीती संरक्षण के कारण कुछ समय तो बच सकता है, परन्तु उसका न्याय यहीं होगा।
    जय परमात्मा

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    1. मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं।
      बुरे की बुराई करो, पर बिना कुछ जाने फैसला मत सुनाओ। आप जिसकी बात कर रहे हो उनके घर ट्रस्ट से नही चल रहे है, सरदार जी पुश्तैनी जमीनों के मालिक है। आपके माता पिता भी आपके लिये छोड़ के जाएंगे कुछ।
      और हां को कहता है कि संत बस वही होता है जो गरीब हो। भाई आप भी मेहनत करो, धन कमाओ किसने मना किया है।

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