Satsang dera beas 24-June-2018
सत्संग डेरा ब्यास
जो जो ब्यास नहीं जा सका वो सत्संग यहां पढ़ो जी। और अपने प्रिय जनो के साथ शेयर भी करो जी।
Published by- RadhaSoamiSakhi.org
बाबाजी ने स्टेज पर आते ही अपने स्वभाव अनुसार संगत को प्रणाम किया और संगत पर वो रूह को झझकोर देने वाली दृष्टि डाली।
प्रत्येक रूह उसके दर्शन को पाकर हर्षोल्लास से गदगद हो रही थी, जो कि संगत के चेहरे से साफ साफ देखा जा सकता था।
बाबाजी ने इस बार हुज़ूर तुलसी साहिब की ग़ज़ल " दिल का हुजरा साफ कर, जाना के आने के लिए" ली और बहुत ही खूबसूरत तरीके से व्याख्या की।
-सत्संग के कुछ अंश
शब्द- दिल का हुजरा साफ कर, जाना के आने के लिए। ध्यान गैरों का उठा उसके बिठाने के लिए।
बाबाजी- शब्द धुन या शब्द प्रकाश सबके अंदर निरंतर बज रहा है, हमारे और शब्द के बीच बारीक से पर्दा है वो है मन का। मन दुनियावी लज्जतों में इतना खो चुका है कि उसे उस धुन का ख्याल ही नही है।
हमारा मन मैला हो चुका है, और जैसे किसी मैले बर्तन में कुछ भी डालो वो गंदगी का हिस्सा बन जाती है ठीक वैसे ही अगर इस मैले मन मे प्रभु कृपा कर भी दें तो वो भी गंदगी और मैल का हिस्सा बन जायेगा।
हमारे से अच्छा तो जानवर है जो बैठने से पहले पूछ मारता है।
तो फिर हम कैसे सोच ले कि मालिक को हम इस मैले मकान में रख लेंगे।
गैर कौन है, गैर वो है जिन्हें हम अपना तो मानते है पर वो सिर्फ अपनी जरूरत के कारण हमसे जुड़े है। संसार में सब रिश्ते गैर है।
बानी में भी कहा गया है "कूड़ राजा कूड़ परजा"
यहां तक कि माँ बाप के रिश्ते जिसे सबसे पवित्र माना गया है उसे भी बानी में "कूड़ माता कूड़ पिता" कहकर बयान किया है।
जब तक इस दिल मे गैरों के लिए जगह है,मालिक इस दिल मे कभी नहीं आ सकता।
प्रेम सबसे करो पर बिरह मालिक के लिए रखो।
शब्द- चश्मे दिल से देख यहां जो जो तमाशे हो रहे। दिलसितां क्या क्या है तेरे दिल सताने के लिए।
बाबाजी- हम तमाशे किसे बोलते है, जिसकी कोई असलियत नही है। इस दुनिया मे हम जो भी करते है सब तमाशा है। जिसे देख देख कर हम भी खुश हो रहे है। पर असल में इसकी भी असलियत नहीं है।
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इसी तमाशो में हम अपना कीमती जन्म बर्बाद कर रहे है।
हमारे दिल को बहलाने और मालिक से दूर करने की सारी चीजें मौजूद है यहां।
पर हमें सिर्फ प्रभु का गुणगान करना चाहिये।
शब्द- एक दिल लाखों तमन्ना, उसपे और ज्यादा हवस। फिर टिकाना है कहाँ उसके टिकाने के लिए।
बाबाजी- इंसान की हसरतें लाखों है और मौत का कोई पता नहीं।
"आसाँ परबत जेडीयां , मौत तनावां हेठ"
चाहतें तो लाखों है पर मौत का पता नही कब दरवाजा खटखटा दे।
ए शेख तकी, तो फिर उस मालिक को बिठाने का ठिकाना कहाँ है।
शब्द- नकली मंदिर मस्जिदों में जाये सदा अफसोस है।
कुदरती मस्जिद का साकिन दुख उठाने के लिए।
बाबाजी - कैसी विडंबना है कि इंसान खुद के बनाये हुए मंदिर मस्जिदों में जाता है लेकिन उसके बनाये हुए मंदिर की तरफ ख्याल नहीं करता।
अब उसका बनाया मंदिर कोनसा है। बानी में कहा है " हरिमंदिर ह शरीर है, ज्ञान रतन परगट होए"
जीसस ने भी कहा था" You are the temple of the living god" यानी कि आप खुद उस परमात्मा कर जीते जागते मंदिर हो। लेकिन अफसोस हम इस अंदरूनी मंदिर में जाने का प्रयास तक नहीं करते।
शब्द- कुदरती काबे की तू मेहराब में सुन गौर से।
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिए।
बाबाजी- ये जो कुदरती काबा है(इंसानी शरीर) , इसमें 24 घंटे धुर से धुन आ रही है। वो दिन हो या रात, बज रही है।
अगर हम अपने कान बन्द करलें और कहें कि जी मुझे तो कुछ सुनाई नहीं दे रहा तो भाई सुनाई कैसे देगा। कान तो तुमने बन्द किये है।
हमेशा उस धुन को सुनने की कोशिश करो। वोही हमें रास्ता दिखाएगी जैसे जंगल में रात होनेपर रही किसी आवाज के सहारे रास्ता खोजता है।
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शब्द- क्यों भटकता फिर रहा तू ए तलाशे यार में, रास्ता शाह रग में है दिलबर पे जाने के लिए।
मुर्शिद ए कामिल से मिल सिदक और सबुरी से तकी,
जो तुझे देगा फ़हम, शाह रग के पाने के लिए।
बाबाजी - ए तकी तू क्यों दर दर भटकता फिर रहा है। वो प्रभु तो तेरी शाह रग में है।
शाह रग को जीसस ने Royal Highway कहकर बयान किया है।
फिर किसी कामिल मुर्शिद से मिल जो तुझे उस शाह रग तक जाने का मार्ग बताएगा। पर इस मार्ग में सब्र बहुत जरूरी है।
शब्द - गोशे बातिन हो कुशादा जो करे कुछ दिन अमल, ला इलाहा अलाह हु अकबर पे जाने के लिए।
ये सदा तुलसी की है, आमिल अमल कर ध्यान से।
कुन कुरान में है लिखा अलाह हु अकबर के लिए।
बाबाजी - अगर तू इन बातों पर अमल करेगा तो परमात्मा अपनी दया मेहर जरूर करेगा।
हे तकी, ये बातें कुरान में भी बताई गई है।
संत किसी को धर्म परिवर्तन के लिए नही कहते। बल्कि उसी धर्म मे सही से बंदगी करना सिखाते है।
3 Comments
Radha Soami ji
ReplyDeleteRadha soami ji thank u
ReplyDeleteRADHA swami g
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