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कदमों के निशान। Radha Soami Sakhi

Radha soami babaji ki sakhi in hindi 2020


कदमों के निशान


एक सत्संगी डेरे में खूब सेवा किया करता था। महाराज जी ने उसकी सेवा भक्ति से खुश होकर उससे मिलने को कहा। उससे बाबाजी ने कहा कि तुम अपनी सेवा का क्या सिला चाहते हो तो उसने कहा की बाबाजी आप हर दम मेरे साथ रहना पर बाबाजी ने कहा की मुझे तो यहाँ और भी बहुत काम होते है मैं हरदम कैसे तेरे साथ रह सकूँगा पर वो नहीं माना और हट पे अड़ गया।

फिर बाबाजी ने कहा ठीक है मैं रहूँगा हर दम तेरे साथ, तभी सारे सेवादार हैरान रह गए की अभी तो बाबाजी ने कहा था की उन्हें बहुत काम होते है और अभी वो इस भले बन्दे के साथ हर दम कैसे ??

बाबाजी ने कहा की बन्दे मैं तेरे साथ तो हरदम रहूँगा तो उसने कहा की मैं कैसे यकीन करलू की आप हरदम मेरे साथ रहेंगे तो बाबाजी ने कहा की तू जहाँ एक कदम चलेगा वहाँ तेरे कदमो के निशाँ के साथ मेरे कदमो के निशाँ भी तुझे दिखेंगे।

वो खुश होकर चल पड़ा। कई साल बीत गए और वो जहाँ जहाँ चले वहाँ वहाँ उसे अपने कदमो के साथ दो कदम और दिखाई दे।
 मगर एक दिन वो चल रहा था तो उसने देखा की रोज़ तो दो कदम और दिखते थे पर आज तो केवल दो ही कदम ऐसा क्यों?? उसका वक्त भी खराब चल रहा था, व्यापार में नुकसान, घर बार बिकने की कगार पर था।

 वो सीधा डेरे गया और बाबाजी से मिलना चाहा पर कुछ सेवादारो ने उसे जाने से मन किया। पर उस बन्दे ने उनका कहा न माना और बाबाजी से तुरंत मिलने की गुजारिश की।

बाबाजी तो जानी जान है, उन्हों ने उसे अंदर आने दिया और कहा बोल बन्दे मैंने अपना काम ठीक से किया ना मैं हरदम तेरे साथ था ना?

तभी उस बन्दे ने कहा की नहीं महाराज जी मुझसे ऐसी क्या भूल हो गयी थी की आप ने मेरा साथ छोड़ दिया।
मैं जब भी दो कदम चलता साथ में दो कदम और दिखते पर अब ऐसा नहीं है मुझे केवल दो ही कदम दीखते है।

ऐसा क्यों महाराज जी ये वक़्त तो ऐसा था जिसमे मुझे आपकी बहुत ज़रूरत थी मेरा सब कुछ लुट गया था। ना घर था ना कारोबार, आपने मेरा साथ इतने मुश्किल समय में क्यों छोड़ दिया।

इसके जवाब में महाराज जी ने कहा कि बन्दे वो जो तू सोच रहा है वैसा बिलकुल नहीं है, मैं हरदम तेरे साथ ही था। उसने कहा की फिर वो दो कदम क्यों नही चलते थे?

इसके जवाब में बाबाजी ने कहा की जिन दो कदमो की बात तू कर रहा है वो कदम मेरे थे, तुझमे तो खुद अपने पैरो पे चलने तक की ताकत नहीं बची थी। तुझे तो मैंने अपने कंधो पर उठा रखा था।

ये सुनकर उसे एहसास हुआ की उसकी सोच, उसका भरोसा कितना जल्दी उठ गया पर महाराज जी ने उसका साथ नहीं छोड़ा। फिर उसने अपने इस व्यवहार के लिए बाबाजी से माफ़ी मांगी और कहा कि आप इसी तरह हरदम मेरे साथ रहिएगा।
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इसीलिए कहते है की सब कुछ उस मालिक पे छोड़ दो फेर देखो वो मालिक सब अच्छा ही करेंगे। हमारा मन ज़रूर डोल सकता है पर वो तो पूरण परमात्मा सच्चा सतगुरु है वो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेंगे।

राधा स्वामी जी

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