Radha Soami Babaji Ki Sakhi Dera Beas In Hindi
एक सत्संगी महिला ने महाराज जी से एक बार पूछा की उसकी अपनी कोई आमदनी नहीं है और उसे सेवा देने के लिए हमेशा अपने पति से रुपया मांगना पड़ता है; क्या ऐसी सेवा का उसको लाभ मिलेगा ? क्या ऐसी सेवा का कोई मूल्य है ?
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महाराज जी ने उत्तर दिया, “हाँ,अगर आप दोनों सेवा देने में खुश है महाराज जी ने एक लंगड़े सत्संगी का उदारहण देकर इस बात को समझाया,”वह लंगड़ा सत्संगी भंडारों पर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ो से आता था और गरीब था । वह 75 मील बैसाखी के सहारे पैदल चलकर आता था,ताकि सेवा में देने के लिए रूपया बचा सके। उसे श्री बुलाकानी एक दिन घन की सेवा के समय मेरे पास लाये । उसने एक रूपया सेवा में दिया । उसकी गरीबी देखते हुए मेने सेवादारो से उसकी सेवा लेने को मना किया,इस पर वह रोने लगा,और मुझे उसकी सेवा मंजूर करनी पडी ।”
महाराज जी ने पूछा ,” क्या इस सेवा की कीमत आंकी जा सकती है? क्या यह धनवानों के दिए हुए हज़ारो -लाखो रुपयो से ज्यादा कीमती नहीं है ? सेवा का मूल्य इससे नहीं आँका जा सकता की आपने क्या दिया है ; उसकी कीमत तो उस प्रेम की भावना में है जिसके साथ वह सेवा दी गयी है ।”
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Kaisi lagi apko babaji ki ye sakhi
achi lagi to share kren ji
radha soami sangat ji
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