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Saakhi- Sewa Ki Mahima। सेवा की महिमा। Radha Soami Sakhi Dera Beas

Radha Soami Sakhi Dera Beas

Saakhi - Sewa Ki Mahima 


भाई हरनाम सिंह की कपड़े की दुकान थी। लेकिन सतगुरू की सँगत की सेवा में ही उनका काफी समय लग जाता था उनकी दुकान दिन में केवल दो-चार घण्टे ही खुलती थी और कभी कभी बिल्कुल बन्द ही रहती थी*
*जो अपने सदगुरू का ज़िकर करते है, सदगुरू ख़ुद ही उनकी फिकर करते हैं। हरनाम सिंह जी चाहे दुकान थोड़े समय के लिए खोलते थे, परन्तु उसी थोड़े समय में ही उनको दिन भर की कमाई हो जाती थी, वो हमेशा शुकर शुकर करते थे*
 
*एक दिन आपकी दुकान के आस पास वाले दुकानदार इकट्ठे होकर आपके पास आए और कहने लगे, "हरनाम जी, एक बात हमें बताईये कि क्या आप ग्राहकों को टाईम देकर आते हो? आप जिस समय दुकान खोलते हो, उसी वक्त ग्राहकों की भीड़ लग जाती है और हम सुबह से ही धूप बत्ती जलाकर ग्राहकों की इंतज़ार में बैठते है। 
निगाहें सड़क की ओर रहती है कि कौन सा ग्राहक आएगा और कुछ लेकर जायेगा। परंतु और आप दो घण्टे में ही दिन-भर की कमाई करके निश्चिंत हो जाते हो" इसमे क्या राज़ है भाई जी?*
 
*भाई हरनाम सिंह जी ने बड़ी नम्रता से जवाब दिया "भाई साहब जी, मैं ग्राहकों को बता कर नहीं आता, बात केवल इतनी है कि जिस शहनशाह की, अपने सतगुरू की मैं नौकरी करता हूँ, वह आप ही मेरा बहुत ध्यान रखता है। मेरा मालिक ग्राहकों को, ख़ुद ही उसी समय भेजता है जब मैं दुकान पर होता हूँ और मुझे अपनी सेवा के लिए काफी समय बख्श देता है*
*भाईयो, इस सँसार से एक दिन हम सभी ने ख़ाली हाथ ही तो जाना है, इसीलिये हमें सन्तों की, गुरू की सँगत की सेवा करके आगे के लिये भी कुछ इकठ्ठा कर लेना चाहये जी*
*उनसे अपने गुरू के प्रेम और सेवा की महिमा सुनकर सभी की आँखें भर आई, उस दिन के बाद कई भाईयों ने सत्सँग और सेवा में जाना भी शुरू कर दिया*
*काश हम पर भी कुछ असर हो जाये और हम भी सेवा में भक्ति में समय लगाकर अपना जीवन सफल बना लें
 
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