Radha soami ji bababji ki sakhi dera beas 2020
New hindi heart touching sakhiyan
एक बार संत जी ज्ञान प्रचार के लिए तीन दिन के लिए एक नगरी मे चले गये । शिष्य अकेला कुटिया मे रह गया था।एक दिन शिष्य ने सोचा की आज तीसरा दिन है और गुरूदेव जी भी कुछ समय बाद आने वाले है ; तब तक उस सिद्धि का परीक्षण करते है जो गुरुदेव जी ने सिखाई है।शिष्य ने गुरुदेव के बताए अनुसार मँत्र उच्चारण किया ! तभी एक जिन्न प्रकट हुआ। जिन्न ने कहा मुझे काम बताओ नही तो तुम्हे मार दुँगा। तभी वो शिष्य बोला गाँव से भिक्षा ले आओ , तभी जिन्न कुछ देर मे भिक्षा ले आया । फिर कपड़े धोने को बोला, ऐसे जिन्न से सब काम करवा लिया।
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तब जिन्न बोला कि और काम बताओ! जब कुछ देर तक उस शिष्य ने कोई काम ना बताया तो जिन्न उसे मारने के लिऐ दौड़ा तभी वो शिष्य रास्ते की ओर दोड़ा तो गुरुदेव आते दिखाई दिये; शिष्य ने जोर जोर से आवाज लगाई- - गुरु जी बचाओ ! गुरु जी बचाओ !!आवाज लगाता गुरुदेव की ओर तेजी से दौड़ा। तभी संत जी ने पूछा की क्या हुआ बच्चा ?तब शिष्य ने सारी घटना बताई और कहा गुरु जी माफ करो ;मुझे बचाओ नही तो वो जिन्न मुझे मार डालेगा।
तब संत जी ने शिष्य को कहा की जिन्न को कहो की एक मजबुत लम्बा बाँस लेकर आओ और उसे जमीन मे गाड़ दो । जिन्न ने एक बाँस का लठ्ठ जमीन मे गाँड़ दिया । तब संन्त जी ने शिष्य को कहा की अब जिन्न को कहो की अब इस बाँस पर चढते और उतरते रहो । तब शिष्य ने जिन्न को बाँस पर चढने उतरने का काम देकर राहत की साँस ली ।
इसी प्रकार मन रुपी जिन्न से बचने का उपाय गुरुदेव जी से मिला हुआ नाम रुपी बाँस है जिस पर मन को लगाऐ रखें ! अन्यथा हमे ये मन रुपी जिन्न विचलित कर भगतिहीन बना देगा !इस से बचने का उपाय केवल नाम आधार है! मन रुपी घोड़े को रोका नही जा सकता !
इसकी दिशा बदली जा सकती है ; जितनी स्पीड से ये बुराई के लिए दौड़ रहा था, जब इसे अच्छाई पर लगाया जाऐगा तब उतनी स्पीड से अच्छाई ग्रहण करेगा ।
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