Radha soami babaji ki sakhi dera beas
बाबा सावन सिहँ जी के समय की बात है। डेरा ब्यास में लंगर के लिये सब्जी अमृतसर से लाई जाती थी दोपहर बाद दो या तीन सेवादार सब्जी लेने जाते थे ।और शाम तक आ जाते थे ,मण्डी में एक सेवादार भाई था जो उनको सब्जी दिलवाकर उन्हे गाड़ी में बैठा देता था |
एक दिन उनकी गाड़ी छूट गई और उन्हे उस सेवादार के घर रुकना पडा़ जो भाई मण्डी से उन्हे सब्जी दिलवाता था वह भाई बहुत गरीब था ,जब वे सेवादार रात को खाना खा रहे थे तो सब्जी में नमक कम था जब सेवादार भाईयों ने नमक मांगा तो घर में उस दिन नमक खत्म हो गया था,
उसने दूकान से नमक लाने की सोची तो घर में पैसे भी नही थे ,उस भाई ने नमक न होने पर सेवादारों से माफी मांगी कि आपको बिना नमक का खाना पडा सेवादार बोले कोई बात नही वीर जी हम वैसे ही खा लेंगे। अगली सुबह वे सब्जी लेकर डेरा ब्यास आ गये,जब वे सेवादार बाबा सावन सिहँ से मिले तो अर्ज़ किया कि मण्डी वाला भाई कितनी सेवा करता है ,उसके भाग्य में थोड़े नमक के लिये पैसे तो लिख देते ।
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संत दयावान होते है ,बाबा जी बोले अच्छा ये बात है कोई नी दे देने हां । अगले कुछ ही दिनो में मालिक की ऐसी कृपा हुई उस भाई की खाली पडी जमीन के पास से सरकार ने बाई पास (Bypass) निकालने की योजना को मंजुरी दे दी, उस भाई ने सडक के किनारे बहुत सी दुकानें बनवा दी और किराए पर दे दी ,वह भाई कुछ ही दिनो में करोडपति बन गया और अपने बिजनेस में उलझ गया ,बिजनेस में उलझने के कारण उसका सत्संग छूट गया ,सेवा भी छूट गई ,अब उसे अपने बिजनेस से फुरसत ही नही मिलती थी कि वह सेवा कर सके और सत्संग सुन सके, एक दिन वही सेवादार उससे मिलने गये तो वह काम में इतना उलझा हुआ था कि वह उन्हे मिल ही नही पाया, वे सेवादार डेरे आए और बाबा जी से मिले और बोले कि आपने तो उसको नमक के लिये कुछ ज्यादा ही पैसे दे दिये।
वे हमें क्या नही दे सकते ,लेकिन हम उनके दिये की कदर नही करते और दूनियां दारी में उलछ जाते है माया हमें सतसंग और सेवा से दूर कर देती है
सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी…
सभी प्यारे सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी…
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