Radha Soami Baba ji Sakhi
“हां” महाराज जी ने जवाब दिया,और फिर बड़ा जोर देकर बोले, “लेकिन वे मेरे सतगुरु भी थे ,और यही ज्यादा महत्वपूर्ण है । ”
यह उत्तर बड़े महाराज जी के साथ उनके सम्बन्धो के बारे में बहुत कुछ प्रकट करता है । जब भी वे बड़े महाराज जी की बात करते है,उनकी आँखे भर आती है और गला रुंध जाता है।
ऐसा अक्सर बातचीत के दौरान ,और खासकर जब वे सत्संग में बड़े महाराज जी का कोई जिक्र् करते है ,होता है ।
ऐसा गहरा है उनका प्रेम अपने प्यारे के प्रति ।
■◆■◆■◆
ये भी पढें - जो हाथ से चला गया उसका दुख क्या करना
■◆■◆■◆
0 Comments