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अनमोल सेवा | Radha Soami Babaji Ki sakhi in hindi

Radha Soami Babaji Ki sakhiyan in hindi

Radha Soami Satsang Beas


यह बात महाराज चरण सिंह जी के समय की है कि हिमाचल में महाराज जी का सत्संग प्रोग्राम था। उन दिनों सत्संग के बाद महाराज जी स्टेज पर बैठकर ही संगत को दर्शन देते थे। उस दिन दर्शनों के बाद महाराज जी स्टेज पर ही विराजमान रहे। सारी संगत ने दर्शन कर लिए और सेवा भी डाल दी। फिर भी महाराज जी स्टेज पर विराजमान रहे। अब किसी सेवादार की हिम्मत नहीं हो रही जो पूछ यह पूछ लें कि महाराज जी अब आप कैसे बैठे हो, अब तो सारी संगत को दर्शन हो गये हैं।

फिर बड़ी हिम्मत करके एक बुजुर्ग सेवादार ने महाराज जी से पूछा, महाराज जी आप अभी तक कैसे बैठे हों, क्या हमसे कोई गलती हो गयी है जी ? और अब तो सारी संगत को दर्शन भी हो गये हैं ।
तब महाराज जी ने कहा, नहीं अभी एक संगत को दर्शन नहीं हुए हैं ।
वो भाई उस पीपल के पास बैठे है। जाओ उनसे कहो कि आपको दर्शन और सेवा डालने के लिए महाराज जी बुला रहे हैं। तब सेवादार भाई उनके पास गये और उसको महाराज जी की बात बताई। तब उस भाई ने महाराज जी के दर्शन किए और अपनी सेवा डाली। अब इस घटना को देखकर सभी सेवादार भाई बहनों में बातें होने लगी कि इसकी सेवा में ऐसी कौन सी बात है कि जिसके लिए स्वयं कुल-मालिक को इंतज़ार करना पड़ा?

तभी बुजुर्ग सेवादार ने महाराज जी से विनती की कि हे सतगुरू हे सच्चे पातशाह, हमें यह ज्ञान देकर धन्य करें जी कि ऐसी क्या बात थी कि आप स्वयं उस भाई का इंतज़ार कर रहे थे , तब महाराज जी ने बताया कि यह भाई सत्संग में आने के लिए बस के किराए के लिए एक साल से पैसे ज़मा कर रहा था। फिर इसने सोचा कि अगर ये पैसे मैं बस किराए में खर्च कर दूंगा तो सेवा में क्या डालूगा ???
तो इसने बस में आने व जाने की बजाय पैदल आने की सोची । 10 दिनों की पैदल यात्रा करके सत्संग में पहुँचा है । अब थोड़े पैसे की सेवा समझ कर दर्शनों को भी नहीं आ रहा था ।
अब आप हो बताओ मैं ऐसे सत्संगी की सेवा लिए बिना और दर्शन दिये बिना कैसे चला जाता ??? क्या ऐसी सेवा का कोई मोल हो सकता है ???

Radha Soami Sangat ji

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