बाबा चरण सिंह जी बहुत हसमुख थे | एक दिन बाबा चरण सिंह जी सरदार बहादुर सिंह जी के साथ पठानकोट जा रहे थे | जब वापस आ रहे थे ओट सरदार बहादुर सिंह जी पिछली सीट पर बेठ गए और बाबा चरण सिंह जी आगे वाली सीट पर | रस्ते मे बाबा चरण सिंह जी ने एक साधु देखा जो घोड़े पे सवार था | उस साधु के साथ पीछे उसके सेवक जा रहे थे उस समय गर्मी बहुत थी और उसके सेवक बिना जूते के जा रहे थे | यह नजारा देख कर बाबा चरण सिंह जी ने दोनों हाथ जोड़ लिए और माथा टेक दिया
ये भी पढ़ें - मूर्ख को समझाना बेकार
सरदार बहादुर सिंह जी यह सब कुछ देख रहे थे | और पूछने लगे के क्या बात है चरण तो बाबा जी ने जवाब दिया के में उस मालक का शुक्र कर रहा था की मुझे उन्हों ने आपका सेवक बनाया जो अपने से ज्यादा अपने सेवक का ख्याल रखता है मैं सोच के कांप रहा था के अगर मालिक मुझे यह घोड़े वाले का सेवक बना देता तो मेरा क्या हाल होता |
यह बात सुन कर सरदार बहदुर जी बहुत हसे वो बहुत ही हसमुख थे |
ये भी पढ़ें - मूर्ख को समझाना बेकार
सरदार बहादुर सिंह जी यह सब कुछ देख रहे थे | और पूछने लगे के क्या बात है चरण तो बाबा जी ने जवाब दिया के में उस मालक का शुक्र कर रहा था की मुझे उन्हों ने आपका सेवक बनाया जो अपने से ज्यादा अपने सेवक का ख्याल रखता है मैं सोच के कांप रहा था के अगर मालिक मुझे यह घोड़े वाले का सेवक बना देता तो मेरा क्या हाल होता |
यह बात सुन कर सरदार बहदुर जी बहुत हसे वो बहुत ही हसमुख थे |
0 Comments